शुक्रवार, 20 फ़रवरी 2015

खडाली

हाँ,!मैं खडाली हूँ!!
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जी हाँ!
अच्छा मानो या बुरा। युग युग से इस किनारे पर कृषि और पशुपालन के सहारे अपनी आजीविका पालता। आपकी तरह हवेली तो खड़ी नहीं कर पाया,पर कहीं छीना झपट्टा या लूट मार करके भी गुजर नहीं की।
कमाया इतना कि देगड़ी भर रूपये लोमड़ियाँ बिखेर गई और मै हँसता रहा।
कच्चे झोंपे में इतनी चाँदी और सोना रहता कि कोई आया और ले गया। अँगोछे में नोटों की गड्डी की गठरी बांध कर साहूकार के पास जमा करा आता। और बदले में उलटे उसी को ब्याज भरता। पर थी सारी परिश्रम की कमाई।
हाँ,मैं ही हूँ वह। जो खुद तीन दिन बिना पानी और पाँच दिन बिना भोजन के रह सकता हूँ। मेरी गाय सात दिन में एक बार और बकरी चार दिन में एक बार पानी पीती है। और ऊंट,,,,,!उसको दो माह तक भी जरूरत नहीं।
दस किलो आटा खाना या पन्द्रह लीटर ऊँटनी का दूध पीना मेरे बाएँ हाथ का खेल है।
मैंने एक रात में सत्तर किलोमीटर की दुरी तय की है। एक हथेली पर ऊंट को उठाकर,कोठे सहित कुँए की परिक्रमा की है।बैल गाड़ी को उछाला तो 30 मीटर की खेजड़ी पर अटक गई।
हाँ,वो मै ही हूँ।
मेरे पुर्वजो का साम्राज्य और राजधानी दूर रह गई पर मै विचलित नहीं हुआ। मुझे राजघरानों ने अत्यंत बंजर रेगिस्तान में छोड़ दिया पर मैंने वहाँ भी 60पुरस के कुए से प्यास बुझाई। कहने को तो आप राजा थे पर यहाँ का नियंता तो मै ही था।
एक तरफ पूरा हिन्दुस्थान था और दूसरी तरफ समस्त बर्बर मध्य एशिया। मैं इस स्थान पर रहकर भी अपना डंका बजाता था। शत्रु रात भर नहीं सो पाते और मै तब भी खर्राटे भरता था।
मुझ पर मत हंसो। मत पूछो कि मैंने क्या किया और तुमने क्या?
आजादी का कोई उपहार मुझे न मिला। पर मैंने 1965 के युद्ध में सारे विधर्मी गाँव खाली करा दिए। आज जो विष बेल पनप रही है,मै तो उसके बीज भी यहाँ नहीं रखना चाहता था।
हंसो मत। मेरे रक्त में आज भी वही शुचिता और पवित्रता पनप रही है। जब बाहर आकर देखा तो सब कुछ नष्ट हो चूका था। और उसके जिम्मेदार भी तुम हो।
हाँ,भोला जरुर हूँ। यह कोई अवगुण नहीं। साक्षात् भोलेनाथ का प्रसाद है। माँ तनोत की गोद में पीढियों तक संघर्ष करते रहने से मुझमें इतनी प्रतिरोध क्षमता आ चुकी है कि मृत्यु को भी कुचलकर ,वैभव को भी ठोकर मारकर आगे बढ़ सकता हूँ।
यह जो नहरी भूमि है वो युगों तक संरक्षित रही,मेरे कारण। तारबंदी और bsf तो कल की बात है। हिन्दुस्थान की रखवाली मैंने की,और मुझे गर्व है कि कई पीढियों तक की। आगे भी करूंगा।
हाँ,मैं खडाली हूँ। मुझे इसका गर्व है।
#खडाल :- जैसलमेर का उत्तर पश्चिमी क्षेत्र जो पाक सीमा से लगता है। वहाँ के निवासी,खडाली।

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