कहानी एक
त"तुम अपने आप को भगवान के चरणों में समर्पित कर दो,,,!"
और वह समर्पण के लिए पास सरक आई।
"ध्यान रहे,,,, समर्पण में प्रश्न नहीं होता,,,, कोई शंका है तो गुफा से बाहर छोड़ आओ,,,!"
उसने शंका और प्रश्न बाहर छोड़ दिए।
"यह शरीर तुम नहीं हो,,,, तुम नित्य शुद्ध चैतन्य आत्मा हो,,,, आत्मा मलिन नहीं होती। इस मल मूत्र से भरे शरीर की चिंता न करो,,,,!"
वह शरीर भूलती जा रही थी।
अंधेरे का तिलिस्म बढ़ता जा रहा था।
फिर भी उसने आंखें बंद कर रखी थी।
"अब जो तुमको स्पर्श होगा न वह आद्यात्मिक मिलन की प्रथम सीढ़ी है। यह केवल सूक्ष्म शरीर को स्थूल शरीर से अलग करने का अनुष्ठान मात्र है।,,,,, डरना नहीं,,,, बिल्कुल मत घबराना। इसके बाद तुम्हारा ब्रह्मरन्ध्र खुल जायेगा।,,,, तुम समाधि अवस्था में पहुंचने वाली हो,,,, तुम्हारा परलोक सुधर जाएगा,,,,,"
ओके,,,,, अंधेरा,,,,,, चीख,,,,,, समाप्त।
कहानी 2
"जब तक तुम अपने दिमाग को खोलोगी नहीं, दकियानूसी चीजें तुम्हें परेशान करती रहेंगी। मैं नहीं चाहता कि कोई नैरो माइंड लड़की अपने अधकचरे नॉलेज से मार्क्स को बदनाम करे,,,,"
और वह खुलने लगी।उसने पैग खत्म किया और सर का मुँह देखने लगी।
"जब तक इस खूबसूरत बदन को पोगापंथी चीथड़ों में लपेट के रहोगी,,, समाजवाद की abcd भी नहीं समझोगी।"
उसके वस्त्र अब अस्तव्यस्त होने लगे।
"जब तक सतीत्व,,,, वर्जिनिटी,,,, जैसी थोथी बातों में उलझी रहोगी,,,, तुम्हारे रिसर्च में पैनापन नहीं आ पाएगा। देखो,,,, मैं हरेक को कहता हूँ,,,, चीजों को खुलकर करो,,,,, एन्जॉय इट,,,!"
उसने उठकर लाइट बन्द कर दी।
"अब जो होगा वह बिल्कुल नैचुरल घटना है,,,, डरने की कोई बात नहीं, इसके बाद तुम एन्जॉय करने वाली सच्ची कामरेड बन जाओगी। यह तुम्हारे भावी प्रोफेसर बनने का मार्ग खोल देगा,,,,, take इट इजी,,,,!"
ओके,,,, अंधेरा,,,, चीख,,,,,,समाप्त।
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