..............ब्रह्माण्ड: अंत से आरम्भ तक............
●THE BEGINNING OF EVERYTHING●
लगभग 13.7 अरब वर्ष पूर्व:
ब्रह्माण्ड में समय और काल की अवधारणा शून्य थी
भौतिकी के नियम अस्तित्व में नहीं थे
दृश्य ब्रह्माण्ड का समस्त पदार्थ अपने फंडामेंटल स्वरुप (क्वार्क-ग्लुआन प्लाज़्मा) के रूप में एक पिन पॉइंट के आकार के द्रव्यमान (10^-26 मीटर) में सिमटा हुआ था
और एक विस्फोट हुआ
ब्रह्माण्ड फैलने लगा
विस्फोट के 0.00000000000000000000000000000000000000000001 (10^-43) सेकंड के बाद
ये ब्रह्माण्ड एक क्षण के खरबवे हिस्से में अरबो खरबो गुणा फ़ैल चुका था
क्वार्क ग्लुआन प्लाज़्मा ने मिल कर प्रोटान न्युट्रान बनाने शुरू किये...
अगले कुछ लाख वर्ष में ब्रह्माण्ड धीरे धीरे इतना शीतल होता गया की ब्रह्माण्ड का "सुपर फ़ोर्स फील्ड" इलेक्ट्रो फ़ोर्स और स्ट्रांग तथा वीक फ़ोर्स में विभक्त होता गया
धीरे धीरे प्रोटान न्युट्रान ने इधर उधर मंडराते लेप्टान कणो (इलेक्ट्रोन) को कैप्चर कर के परमाणुओ का निर्माण किया
फिर हाइड्रोजन बनी
फिर हीलियम
सितारे...सौरमंडल...पृथ्वी...प्रथम कोशिका
All the way through evolution.... "US"
Humans!!!
.
बिगबैंग थ्योरी को मैं फिर से कभी एक्सप्लेन करूँगा.. जो मित्र फंडामेंटल पार्टिकल्स के व्यवहार की सबसे सफल व्याख्या करने वाले "स्टैण्डर्ड मॉडल" को समझते है
.......उनके लिए इस "एटॉमिक एवोल्युशन"को समझना ज्यादा मुश्किल नहीं
और देखा जाए तो पिछली एक शताब्दी में हमें ऐसे अनगिनत सबूत मिले है जो "बिगबैंग थ्योरी" को सही साबित करते है
"बिगबैंग थ्योरी निर्विवाद रूप से सत्य है"
.
लेकिन...
आज मेरा सवाल ये है कि
चूँकि हमारे द्वारा नापी जा सकने वाली समय की सबसे छोटी इकाई (10^-43 सेकंड) है...
इस कारण...
आज से 13.7 अरब वर्ष पूर्व शुरू हुए ब्रह्माण्ड के निर्माण के क्षण के 10^-43 सेकंड के बाद हमें मालुम है कि क्या हुआ था
लेकिन...उस विस्फोट से पहले क्या था?
विस्फोट हुआ ही क्यों?
विस्फोट के आस पास क्या था?
मै जानता हूँ कि...ये सवाल अक्सर आपको परेशान करते होंगे
.
हम समय के चक्र में पीछे जा कर उस विस्फोट को नहीं देख सकते
चूँकि हमें कुछ भी देखने के लिए "फोटान" की जरूरत होती है
और चूँकि बिगबैंग के 380000 साल तक पदार्थ इतनी dense अवस्था में था की फोटान का उस "उच्चतम घनत्व की बाल"को चीर कर निकल पाना संभव नहीं था
.
अब चूँकि मैंने "Telescopes" नामक टॉपिक में कहा था कि हम टेलिस्कोप की सहायता से भूतकाल में झाँक सकते है
So all we have... is a faint picture of microwave radiation 380000 years afterwards "Big Bang".... and few wild guesses!!!
(ब्रह्माण्ड निर्माण के 380000 साल बाद कैसा दिखता था... जानने के लिए प्रथम कमेंट में फ़ोटो देखे)
.
तो सवाल ये है कि
"ब्रह्माण्ड के आरंभ से पहले...क्या था?"
और जवाब है
कि...
"सही जवाब के लिए शायद हमें ब्रह्माण्ड की शुरुआत नहीं...बल्कि अंत को जानने की जरुरत है"
क्योंकि ब्रह्माण्ड का अंत ही हमें समझा सकता है
"The Beginning Of Universe"
(आगे के कंटेंट बहुत जटिल होने के कारण मैं अत्यंत सरल भाषा में लिखने की कोशिश करूँगा..किसी भी जिज्ञासा के निवारण के लिए कमेंट बॉक्स में संपर्क करें)
और जिन लोगो ने इस लेख श्रृंखला का प्रथम भाग नहीं पढ़ा है...वे timeline पर जा कर "The End Of Everything" पढ़ लें
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हम और आप... तथा ब्रह्माण्ड की हर चीज फंडामेंटल लेवल पर ऊर्जा के तंतुओ (स्ट्रिंग्स) के वाइब्रेशन मात्र है
ऊर्जा का एक ख़ास गुण होता है
कि... ये उच्च स्थिति से निम्न स्थिति की ओर बहती है
अर्थात.. अगर एक कमरे में अगर आपने आइस क्रीम का एक कप रखा है
तो...आइस क्रीम पिघल के रूप टेम्परेचर पर आ ही जायेगी
हवा में छोड़े गए गुब्बारे पिचक के जमीन पर आ ही गिरेंगे
सितारे अपना ईंधन जला के एक ना एक दिन ठन्डे हो ही जायेगे
.
ऊर्जा के वितरण को "एन्ट्रापी"में नापते हैं
और ऊर्जा के समान वितरण साधने की इस प्रक्रिया में ब्रह्माण्ड एक ना एक दिन "परम संतुलन" अर्थात मैक्सिमम एन्ट्रापी की स्थिति प्राप्त कर लेगा
अर्थात
हर जगह ऊर्जा का समान लेवल होगा
हर जगह एक समान तापमान होगा
और तब कुछ भी होना संभव नहीं होगा
क्योंकि.. कुछ होने के लिए असंतुलन आवश्यक है...
ऊर्जा का आदान प्रदान आवश्यक है
"लहरो का लहरो से टकराना आवश्यक है"
.
इस परम संतुलन की स्थिति में
ब्रहमाण्ड एक लहरो से विहीन सागर की शांत सतह के समान होगा
Universe Will Be Dead !!!
.
ना दिन होगा
........ना रात
ना सत होगा
.....ना असत
ना मृत्यु होगी
...ना अमरता
.
पर तभी...
.
इस लहरो से विहीन ब्रह्माण्ड में
.
..................एक लहर उठती है !!!!!
.
......अर्थात.....
"इच्छा" होती है
.
जिसे हमारे पूर्वजो ने अपनी सीमित शब्दावलीे में "प्रथम विक्षोभ" अथवा "इच्छा" की संज्ञा दी
.
तो ये ऊर्जा की लहर उठी कहा से?
Well...Fortunately
Science has an answer!!!
.
ये इच्छा और कुछ नहीं
"Quantum Fluctuations" कहलाती है
अर्थात
पूर्ण रूप से निर्वात/Vacuum में भी "हाईजेनबर्ग के अनिश्चिन्ता सिद्धांत" के कारण ऊर्जा की लहरे उठती है और गायब होती है
जिन्हें "वर्चुअल पार्टिकल्स" कहते है
(ये प्रायोगिक सत्य है)
दूसरे शब्दों में
"शून्य" अर्थात ऊर्जा का पूर्ण रूपेण लोप हो जाना हमारे ब्रह्माण्ड में संभव नहीं है
और वो शायद इसलिए क्योंकि...
.
"हम और हमारा ब्रह्माण्ड शुन्य आयाम से बहुत दूर है"
शुन्य आयाम... जहा से ये ब्रह्माण्ड संचलित है !!!!
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अब चलते है...सर्न में मौजूद "लार्ज हेड्रान कोलाइडर" की तरफ
वही...जहा पिछले दिनों "ईश्वरीय कण" हिग्स बोसान की खोज चल रही थी
और गुड न्यूज़ ये है कि
"हिग्स बोसान" जो कणो को उनका द्रव्यमान प्रदान करता है...मिल गया है
और बुरी खबर है..
"हिग्स बोसान का खुद का द्रव्यमान"
जो साफ़ साफ़ कहता है कि...
"हम जिस ब्रह्माण्ड के टुकड़े में रहते है...वो वास्तविक शुन्य आयाम नहीं"
बल्कि... क्षद्म आयाम है
अर्थात...
"False Vacuum"
.
इसे आप इस तरह समझ सकते है कि....
मान लीजिये
आप अपने कमरे में फर्श से थोड़ी ऊंचाई पर एक कपडे के चारो कोनो को दीवार में कील की सहायता से बाँध दीजिये
अब कमरे का फर्श तो हुआ "शुन्य आयाम"
अर्थात
.
Zero Energy Ground State !!!
.
और कपडे के ऊपर हमारा ब्रह्माण्ड तैर रहा है
और
ये ब्रह्माण्ड "स्टेबल" नहीं है
कभी ना कभी.... कील उखड के वो ब्रह्माण्ड नीचे जरूर गिरेगा
जिसे "False Vacuum Decay" कहते है
.
अब चूंकि थ्योरी ऑफ़ रिलेटिविटी के कारण हम जानते है कि...
कमरे में मौजूद उस कपडे के ऊपर "जितने द्रव्यमान का पिंड होगा"
वो ब्र्रह्मांड के फैब्रिक को उतना ही bent करेगा
और अक्सर कपडे का ये झुकाव
"निचले आयाम में मौजूद ब्रह्माण्ड को touch कर जाता है"
और
निचले ऊर्जा स्तर के ब्रह्माण्ड से.... हमारे ब्रह्माण्ड में "lower energy" के बुलबुले आते रहते है
जो कि हमारे ब्रह्माण्ड के उच्च ऊर्जा स्तर होने के कारण कोई असर नहीं दिखा पाते
पर
अब वापस आते हैं....
मैक्सिमम एन्ट्रापी की अवस्था में
जब ब्रह्माण्ड लहर विहीन...शांत और "lower energy state" में है
तो...
एक छोटी से लहर...
"One small fluctuation.... can do A LOT"
.
ब्रह्माण्ड की ऊर्जा का स्तर नगण्य होने के कारण..
उस लहर से हमारे ब्रह्माण्ड का फैब्रिक नीचे झुकेगा
और... समानांतर ब्रह्माण्ड से...
"एक "निम्न ऊर्जा का हिग्स वैक्यूम" का बुलबुला निकल कर हमारे ब्रह्माण्ड से आएगा
और
हमारे ब्रह्माण्ड से...निकटवर्ती ब्रह्माण्ड में बीच एक "लिंग नुमा सुरंग" बन जायेगी
(इसी लिए...सीमित शब्दावली के कारण हमारे पूर्वजो द्वारा लिखित ब्रह्माण्ड विज्ञान में ब्रह्माण्ड की उत्पत्ति "लिंग नुमा आकृति" से मिलती है)
.
हमारे ब्रह्माण्ड की ऊर्जा तब निम्न होने के कारण.... प्रतिरोध के अभाव में....
बाजू वाले ब्रह्माण्ड से आया वो बुलबुला प्रकाश गति से हर तरफ फैलता चला जाएगा
और....
हमारा ब्रह्माण्ड उस सुरंग में धंसता हुआ.... नीचे मौजूद ब्रह्माण्ड के आयाम में जा कर.... एक जगह पर इकट्ठा होना शुरू हो जाएगा
और अति उच्च घनत्व पर ग्रेविटी प्रति कर्षण (Repulsion) उत्पन्न करती है
इसलिए..
एक सीमा के पश्चात...
विस्फोट होगा !!!!
.
And That's Called BIG BANG !!!
.
(Check a photo drawn by me in comments to understand process)
.
और निचले आयाम में निम्न ऊर्जास्तर पर..
फिजिक्स के नए नियमो के साथ...
"ब्रह्माण्ड खुद को दोहराता है"
नयी कहानियो की नयी इबारते लिखी जाती है
जिनमे से किसी कहानी का हिस्सा शायद...
......... हम है !!!
.
Remember The Black Holes From My Last Topic???
मेरे लास्ट टॉपिक में मेंशन ब्रह्माण्ड के अंत में बचेे "ब्लैक होल्स" के द्वारा भी ये प्रक्रिया संपन्न हो सकती है
लास्ट मोमेंट...जब वे ब्लैक होल अपनी आयु पूरी कर रेडिएट होने के अंतिम चरण में होते है
उस वक़्त.....
ब्रह्माण्ड के "फैब्रिक" पर उनके द्वारा उत्पन्न झोल अथवा "curve" सबसे ज्यादा होता है
तो संभव है...
कि अंतिम क्षणों में वे ब्लैक होल्स उस कमरे में मौजूद कपडे पर इतना दबाब डाल दें
कि...कपड़ा कील सहित नीचे आ गिरे....
और ऊपर लिखी प्रक्रिया दोहराई जाए
But...
However... Through Black holes or Fluctuation
ऐसा होगा जरूर...
और नए ब्रह्माण्ड में कहानी उसी पन्ने पर ख़त्म होगी
जो हमारे लिए वर्तमान में..
हमारी कहानी का पहला पन्ना है
.
और ये कहानी..
युगों युगों से अनवरत चलती आ रही है
हमारा ब्रह्माण्ड
हमारा "बबल यूनिवर्स"...इस कहानी का एक अकेला पन्ना है
.
उस शुन्य आयाम से...
हर क्षण...
ना जाने कितने ब्रह्माण्ड रुपी बुलबुले जन्म लेते है
और
ना जाने कितने ब्रह्मांड हर पल एक नयी कहानी का साक्षात्कार करते है !!!
.
So.... That's All It Is !!!
"Programming Of Nature"
ब्रह्माण्ड के अंत और आरम्भ की प्रक्रिया को समझ लीजिये
जल्द आपको "शुन्य आयाम" जहा से ये प्रक्रिया संचलित है
वहा भी ले चलेगे
:-)
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So Coming To The End
इस सब में हिग्स बोसान कहा है?
Well... हमारा ब्रह्माण्ड हिग्स फील्ड से निर्मित है
और हिग्स बोसाेन की "प्रॉपर्टीज" में बदलाव के कारण ही ब्रह्माण्ड "वैक्यूम फेज ट्रांजीशन" की प्रक्रिया से गुजर कर... एक नयी शुरुआत करता है
.
तो इसे "ईश्वरीय कण" कहना उचित है??
शायद नहीं...
Indeed
Its A Match... Spark... Fuse
Which Caused The Big Bang
.
IT IS THE BANG...
..... IN BIG BANG !!!
.................Call It..................
TRIGGER OF BIG BANG !!!
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........And As Always
Thanks For Reading !!!
(विजय सिंह झकझकिया)
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