शुक्रवार, 8 सितंबर 2017

अष्टलक्ष्मी स्वरूप

क्या आप #अष्टलक्ष्मी से परिचित हैं?
सामान्यतः हम लोग धन, स्वर्ण और मुद्रा को ही लक्ष्मी मानते हैं। क्या लक्ष्मी जी का स्वरूप इतना ही है?
इस आलेख में हम जानेंगे कि लक्ष्मीवान कौन कौन है?

वास्तव में किसी धन्ना सेठ से भी अधिक धनवान कोई फक्कड़ सन्यासी भी हो सकता है!
किसी गरीब गृहस्थ की तुलना में लाखों रुपए का इनकम टैक्स भरने वाला भी दरिद्र हो सकता है।
क्योंकि लक्ष्मी जी के आठ स्वरूप है। इनको जाने बिना इस तुलना को ठीक ठीक नहीं जाना जा सकता।
प्रस्तुत है अष्टलक्ष्मी स्वरूप विवेचन

1.गजलक्ष्मी- हाथी, घोड़े, रथ, और समस्त प्रकार के वाहन, विमान, जलयान आदि को गजलक्ष्मी कहते हैं। यह खोया राज्य दिलाने में सहायक है। जिसके पास उत्तम वाहन, गाड़ियां आदि है उस पर गजलक्ष्मी की कृपा है। इसे चल सम्पत्ति भी कह सकते हैं।

2.धनलक्ष्मी- नगदी, बैंक बैलेंस, विभिन्न जमाएं, स्वर्ण, आभूषण, बहुमूल्य वस्तुएं धनलक्ष्मी है। वर्तमान में इसी को लक्ष्मी माना जाता है।

3.धान्यलक्ष्मी- उत्तम कृषि भूमि, वन उपवन, फॉर्महाउस, भवन, विभिन्न खाद्य पदार्थों से सम्पन्न सामर्थ्य, दूसरों का उदर भरने की क्षमता धान्यलक्ष्मी कहलाती है।

4.सन्तानलक्ष्मी- संस्कारित सफल पुत्र पुत्रियां, अच्छे यशस्वी दिव्य गुणों से युक्त सन्तानें जिसके हैं वह निश्चित रूप से सन्तानलक्ष्मी  का कृपापात्र है। इसके अतिरिक्त जिस गुरु के उत्तम शिष्य हैं वह भी सन्तानलक्ष्मी ही है। जिस साधक के कई अनुयायी हैं उसे भी सन्तानलक्ष्मी ही मानेंगे।

5.धैर्यलक्ष्मी- विभिन्न परिस्थितियों में धीरज नहीं त्यागना, दयालुता, क्षमा, वीरता, दानशीलता और परोपकार का भाव जिसमें है वह धैर्यलक्ष्मी से युक्त है। धैर्यलक्ष्मी ऊपरी चारों लक्ष्मियों से श्रेष्ठ मानी गई है।

6.विजयलक्ष्मी- सफलता को विजय कहते हैं। प्रतियोगिता में सफलता, चुनाव आदि में जीत, लॉटरी आदि का भाग्य से निर्णय, युद्ध में जीतना, शत्रु को तेजहीन करना, पदोन्नत होना आदि विजयलक्ष्मी है।  दाम्पत्य, मैत्री, समाज में यश और माधुर्य का कारण भी यही लक्ष्मी है।

7.विद्यालक्ष्मी- अपनी व्यवसायिक दक्षता, उत्तम हुनर, शस्त्र शास्त्र का ज्ञान, विभिन्न कलाओं में प्रावीण्य, अच्छी जानकारी, तर्क बुद्धि और ज्ञान का समुचित उपयोग, वैज्ञानिक शोध बुद्धि, समीक्षा और आलोचना की क्षमता, पत्रकारिता आदि विद्यालक्ष्मी कहलाती है।

8.आदिलक्ष्मी- विरासत से प्राप्त धन, वैभव, अनुकूलता, जन्मजात प्रतिभा, पूर्वजों के नाम यश से सम्प्राप्त कुल में जन्म और भारत जैसे दुर्लभ राष्ट्र में अवसर इत्यादि का कारण आदिलक्ष्मी है।

इन आठ प्रकार की लक्ष्मियों का एक साथ ध्यान करना चाहिए और जो जो अप्राप्त है, उसकी प्राप्ति का उपाय करना चाहिए। जिसके पास इनमें से एक भी है वह लक्ष्मीवान है। जिसके पास आठों हैं वह श्रीमान/श्रीमती है। कृपया स्वयं का मूल्यांकन करें और कमेंट में लिखें कि आप पर माँ लक्ष्मी के कितने रूपों की कृपा है।
साथ ही अधिक जानकारी और तात्विक विवेचन के लिए मेरा ब्लॉग पढें।
#kss

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