शनिवार, 16 सितंबर 2017

उसकी जाति, उसकी दुकान

ब्राह्मण,,,,?
जो वास्तव में ब्राह्मण थे, वे तो कभी के आरएसएस जॉइन कर #राष्ट्रवादी बन चुके हैं। वे ब्राह्मणत्व से अधिक अपनी हिन्दू अस्मिता से जाने जाते हैं। ये नाम गोत्र तो उनकी परम्परा के वाहक हैं।
ब्राह्मण है और राष्ट्रवादी नहीं है तो फिर वह ब्राह्मण है ही नहीं।
फिर ये राष्ट्र और आरएसएस के विपरीत चलने वाले कौन है?
ये वही नकली ब्राह्मण हैं जो पण्डावाद फैलाकर पहले भी देश की दुर्गति करवाते रहे और आज भी उसी में लगे हुए हैं।

ये ब्राह्मणों के नाम पर दुकान चलाने वाले देशद्रोही #कलंक हैं।
इन्हें ब्राह्मण कहना ब्राह्मणत्व का अपमान है!!

क्षत्रिय,,,?
जो वास्तव में क्षत्रिय हैं वे राष्ट्रवादी बन आरएसएस जॉइन कर चुके हैं। वे क्षत्रिय से अधिक, स्वयं की हिन्दू पहचान से गौरवान्वित होते हैं। ये नाम गोत्र तो उनकी परम्परा के वाहक हैं।
क्षत्रिय है और राष्ट्रवादी नहीं है,,, ऐसा हो ही नहीं सकता!!
फिर ये कौन है जो राष्ट्र और संघ से विपरीत चल रहे हैं,,,?
ये वही कुलकलंक हैं जिनके कारण देश माता एक सहस्र वर्ष वैधव्य के कलंक को  ढोती रही!
ये पहले भी संदिग्ध थे, ये आज भी संदिग्ध हैं।
ये क्षत्रिय नहीं, नकली क्षत्रिय हैं जो क्षत्रिय के नाम की दुकान चला क्षत्रियों को बदनाम कर रहे हैं!!
इन्हें क्षत्रिय कहना, क्षत्रियत्व का अपमान है!!

वैश्य,,,,?
कहाँ है वैश्य,,,?
जो असली महाजन थे वे तो कब  के राष्ट्रवादी बन चुके हैं। उन्होंने अपनी वैश्य पहचान को त्याग कर हिंदुत्व को स्वीकारा है।
उन्होंने आरएसएस जॉइन कर ली है।
वे वैश्य से अधिक, स्वयं की हिन्दू पहचान से गौरवान्वित होते हैं। ये नाम गोत्र तो उनकी परम्परा के वाहक हैं!!
फिर ये वैश्य के नाम पर पूंगी बजाने वाले कौन हैं?
ये वही परजीवी हैं जो देश संकट के समय भी अपनी तिजोरी भरने में व्यस्त रहे और अपने ही देशवासियों के जख्म में कुलबिलाते कीड़े जिन्हें दिखाई नहीं दिए।
ये वैश्य नहीं, नकली वैश्य हैं जो वैश्यों के नाम पर अलग दुकान चला, वास्तविक वैश्यों को बदनाम कर रहे हैं!!

शूद्र,,,,?
कहाँ है शूद्र,,,,?
जो वास्तविक शुद्र थे वे कब के इस अपमानजनक सम्बोधन वाले आवरण को तोड़, हिन्दू बन चुके हैं। उन्होंने आरएसएस जॉइन कर लिया है। वे स्वयं को शूद्र कहलाना भी पसंद नहीं करते, वे अपनी पहचान हिन्दू के रूप में करवाते हैं।
बल्कि, वे ही वास्तविक हिन्दू हैं। ये नाम गोत्र तो उनकी परम्परा के वाहक हैं !!
फिर ये शूद्रत्व के नाम पर रोज होंगे वाली हाय तौबा कौन कर रहे हैं?
ये वही नकली शूद्र हैं जो पहले भी राष्ट्रसंकट के समय उत्सव मनाते थे, आज भी मनाते हैं।
इन्हें शूद्र कहना, शूद्रत्व का अपमान है। ये तो #शूद्र नाम वाली किसी दुकान के दुकानदार हैं जो खुलकर माल कूट रहे हैं!!
#हिन्दू है और #संघठित नहीं है, उसे हिन्दू मानो ही मत।
वे हिंदुत्व की अच्छाई और बुराई पर दुकान चलाने वाले ढोंगी व्यापारी हैं।
हिन्दू  शरीर से उत्सर्जित कालबाह्य परम्पराओं से उर्वरक बना अपनी अलग फसल काटने वाले इन हिन्दू द्वेषियों को पहचानना ही होगा।
यतो संघस्ततो हिन्दु: ,,,,  हिन्दू धर्मो विजयते !!
#kss

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