भाषण देने के इच्छुक लोगों को कुछ टिप्स बता रहा हूँ।
वैसे तो यह अभ्यास और मौलिकता की बात है।
जहाँ तक हो सके शाब्दिक आडम्बर से बचा जाना चाहिए।
जब भी कोई उर्दू की डायलॉगबाजी करता है या इंग्लिश छांटता है, मैं समझ जाता हूँ यह कोई खास बात नहीं कह पाएगा।
रटी रटाई शायरी, कुछ प्रसिद्ध धारणाओं या सूक्तियों के सहारे गोल गोल घूमना भाषण बिल्कुल नहीं है!!
अपने समझे हुए मूल विचारों को सरल, स्पष्ट और दृढ़ता से कहना चाहिए और जब लगे कि बात पूरी हो गई तो अनावश्यक लम्बा नहीं खींचना चाहिए।
सुनी सुनाई या रटी रटाई बातों से सदैव परहेज रखें। प्रसंग और तर्क का हमेशा ध्यान रखें, भ्रामक तथ्यों से बचें और अपनी राय को अंतिम सिद्ध करने की कोशिश न करें।
अपने भाषण का मूल्यांकन श्रोताओं को करने दें। उनके #आउटपुट का निरीक्षण करते रहें। पिष्टपेषण से बचें और यथासंभव पुनरुक्त कथन न करें।
आजकल कुछ मोटिवेटर घूमते हुए बोलते हैं, चिल्लाते हैं और मंच पर घूमते किसी ईसाई प्रचारक की तरह आंखें बंद कर मुँह से थूक उछालते हैं, ऐसे #टोटकों से बचना चाहिए।
कुछ प्रसिद्ध भाषणों की वीडियो ऑडियो सुनें। आंचलिक भाषी श्रेष्ठ वक्ताओं को सुनें, और भाषा पर अपनी अच्छी पकड़ बनाएं।
व्याकरण ज्ञान रखे। लघु सूत्र याद करें और बिंदुओं को नोट कर रखें।
यदि आप भारत, भारतीय, राष्ट्र, हिंदुत्व इत्यादि विषय पर बोलना चाहते हैं तो #सत्यार्थ प्रकाश, स्वामी विवेकानंद, पूजनीय गुरुजी आदि के साहित्य को अवश्य पढ़ें। सब पढ़कर फिर अपनी बुद्धि से सोचें।
प्रतिपक्षियों के वैचारिक दर्शन को भी जानें।
थोड़ा सामान्य ज्ञान, थोड़ा विज्ञान, थोड़ा इतिहास, थोड़ा थोड़ा विदेशी प्रसिद्ध दर्शनों का भी अध्ययन करें।
हर मामले में अपनी टांग अड़ाने से बचें और,,,, किसी निश्चित विषय के विशेषज्ञ बनने की दिशा में #प्रवृत्त हों।
इति शुभम।।
#kss
श्रेष्ठ ! आशा है कि आपके मार्गदर्शन से युवा पीढ़ी कुछ प्राप्त करे
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