बुधवार, 19 जुलाई 2017

वर्जित विषय, पर जरूरी

सर मोटो सपूत, काया मोटी कपूत।
कृपया महिलाएं और बच्चे पोस्ट से दूर रहें।
ऐसा है कि एक शास्त्र है #सामुद्रिक शास्त्र।
इसका समुद्र से कोई लेना देना नहीँ है।
स + मुद्रा, अर्थात शारीरिक अंगों के लक्षणों का वर्णन है। जिसे पर्सनल्टी का फर्स्ट इम्प्रेशन कहते हैं न, कुछ कुछ वैसा।
इस शास्त्र को पढ़कर ही कवियों ने नख शिख वर्णन करने सीखे और इसी आधार पर ज्योतिषियों ने हस्तरेखा आदि के लिए कुछ घोषणाएं कीं।
नाक, कान, बाहु, जंघाएँ, पेट, गर्दन आदि की आनुपातिक संरचना के आधार पर यह निर्णय लिए गये कि क्या सुंदर और क्या कुरूप होता है।
ज्ञानी के लक्षण क्या हैं, यौद्धा कैसा होता है, शिल्पी, दूत, प्रहरी, आदि किसे बनाना चाहिए,,,,, इत्यादि।
पुराने समय में छोटे बच्चे कच्छा नहीँ पहनते थे।
12-13 वर्ष तक के लड़के नँगे घूमते रहते थे।
तब आज जैसी "चेतना" भी नहीं थी।
ज्यादा हुआ तो ऊपर एक शर्ट जैसा कुछ गले में डाल दिया जाता था, शेष भाग हवा लगने को खुला छोड़ दिया जाता था।
बिना कोई समस्या के, लड़के लड़कियां खेलते रहते थे,,,, इत्यादि।
अक्सर, चौपाल पर बैठे दादाजी की गोद में खेलते खेलते पोता भी पहुंच जाता था।
लोग बाग, सामुद्रिक शास्त्र की एक बात कहा करते थे,,,, "सिर बड़ा सपूत का, पैर बड़ा कपूत का।"
यह तो ठीक है, एक और बात कहते थे,,, "काया बड़ी कपूत की,,,"
यहां, काया से तात्पर्य, बच्चे के लिंग की साइज थी।
जिनका जननांग बड़ा होता था वे अच्छी नजर से नहीँ देखे जाते थे। वे इसके लिए गधे और सिंह का उदाहरण देते थे।
मेरी पोस्ट पढ़कर, अभी यहीं कई लोग गधे के गुणगान करना शुरू नहीं करें,,,,, गधा विशाल "काया" धारी होते हुए भी, कभी भी जंगल का राजा नहीं कहलायेगा। और बड़े शक्तिशाली जेबरों के शरीर को सिंहों द्वारा फाड़ दिया जाता है, यह एक सर्वविदित बात है।
"साइज डज मैटर" का नारा देने वाली तीनों सभ्यतायें,,,,  1.अरब, 2.यूरोप, 3.मार्क्स के चिंतन का बहुत बड़ा आधार "जननांग" ही है। खतना आदि प्रथाएं, विज्ञापन-उपभोग, बाह्य सौंदर्य, मुक्त यौन जीवन, से इसे समझ सकते हैं।
जहाँ भी नर-मादा मिले नहीँ कि इसी के इर्द गिर्द चित्रण शुरू हो जाता है।
लिंग बड़ा करने वाले विज्ञापनों पर नजर डालिए,,,,, इन सबका आधार क्या है?
यहाँ किस #सन्तुष्टि की बात हो रही है?
बड़े लिंग वालों ने कहाँ क्या #पराक्रम किया इसका कहीं उदाहरण है?
वे किसी अंडरवियर के प्रचार अथवा कहीं पोर्न फिल्म में नजर आएंगे।
कभी अपने शास्त्रों पर भी भरोसा करना चाहिए।
एकेनापि सुपुत्रेण,
सिंही स्वपिति निर्भयम्।
सहैव दशभिः पुत्रै:
भारम् वहति गर्दभी।।
एक ही पुत्र को जन्म देकर, शेरनी निर्भय होकर सोती है।
जबकि दश पुत्रों की माँ, #गधी अपने पुत्रों सहित बोझा ढोती रहती है।
#kss

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