रविवार, 18 दिसंबर 2016

परिवार और टीवी सीरियल

हमारा परिवार मातृशक्ति के प्रति सम्मान का एक आधार है।
पश्चिमी चिंतकों ने मल्टीनेशनल कम्पनियों को यह सुझाया कि हिन्दुस्थान में यदि डेली प्रोडक्ट , रेडीमेड गारमेंट्स,टीवी,फ्रिज, आदि की मांग बढ़ानी है ,तो मिडल क्लास फेमिली में डिसिन्टीग्रेशन होना चाहिए। उसके लिए योजनाबद्ध हर जोड़े को झगड़ते हुए दिखाना, तलाक लेना, फिर पुनर्विवाह दिखाना,,,, ,,, कभी कभी तो 4साल का बच्चा 24 का होते होते 10-15 बार तलाक और पुनर्विवाह देख चुका होता है।
इस कारण दाम्पत्य में जब भी  उतार चढ़ाव आता है, तलाक जो कि समाज में पूरी तरह से अस्वीकृत था, अंतिम समाधान के रूप में दिखता है।
बार बार दिखाया जाता है कि विवाहित महिला का पुरूष मित्र, विवाहित पुरूष की महिला मित्र।
धारावाहिक में पहले महिला को परिवार की सहानुभूति का केंद्र बनाया जाता है, फिर झगड़े दिखाए जाते हैं। विवाहित महिला पुरूष मित्र के यहाँ या विवाहित पुरूष महिला मित्र के यहाँ रहने चला जाता है।
फिर 4-6 महीने बाद दुबारा इकट्ठे हो जाते हैं।
यह एक सामाजिक प्रश्न है।
प्रबंध विषय में विज्ञापन के लोग कहते हैं कि धारावाहिकों में 12-16% कॉंप्लिमेंटरि डायलॉग बाकी नॉन-कॉंप्लिमेंटरि होते हैं, यानि कोई प्रश्न किया तो उसका सीधा जवाब न देकर कुछ और कहना।
पूरक जवाब न देकर, प्रति प्रश्न, दोषारोपण, दोषारोपण नहीं तो उपहास उड़ाने वाला सम्वाद, वह भी नहीं तो शट अप,,,, क्लोज़ योर माउथ,माइंड योर लैंग्वेज, मेरे मामले में टांग अड़ाने की क्या जरूरत,,,, आदि आदि।
यह सब परिवार संस्था को तोड़ने के लिए दिखाया जाता है।
पहले कक्षा में एक तरफ लड़के और एक तरफ लड़कियां बैठती थीं। अब ये दृश्य नहीं दीखते,,,, एक लड़का एक लड़की,,,, बड़ा अजीब हो गया है।
कहीं टूर पर जाना है, एक बस में लड़के और एक में लड़कियां बिठानी थी, पर वे सब बस के आगे आकर अड़ गये,,, हमें हमारी मर्जी से बैठने दो,,,,,!!
जब काफी कठोरता से कहा गया तब जाकर बच्चे माने।
सामाजिक वर्जनाएं समाप्त हो रही हैं।
बॉय फ्रेंड,,,, गर्ल फ्रेंड,,,,।
तुमने पार्टी में शराब पी थी???
उसने पी थी???
आगे कुछ किया था?
कहीं न कहीं सामाजिक परिवेश ऐसा बनाना चाहिए, चाहे इसके लिए कानून ही क्यों न लाना पड़े कि तलाक और पुनर्विवाह,,, भारतीय धारावाहिकों में न दिखाए जाएं।
एक किशोर की किशोरी के पप्रति क्या दृष्टि हो,,,, अथवा एक किशोरी पुरूष को किस नजर से देखती है.... इसके उचित प्रशिक्षण हों। कार्यशालाएं हों।
परिवार संस्था नहीं बची तो भारत भी नहीं बचेगा।
#kss

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