गुरुवार, 18 फ़रवरी 2016

ऊर्जा

जब असत्य का साम्राज्य होता है तो, ऊर्जा का व्यय अधिक होता है।
शक्ति का क्षय होता है।
और पराजय होती है।

पुराने घर में, यह होता था कि बाह्य ऊर्जा का सुंदर व्यवस्थापन किया जाता था। गर्मियों में बाहरी अतिरिक्त गर्मी प्रविष्ट नहीं होती थी और सर्दियों में आंतरिक ऊष्मा बाहर निक्षेपित नहीं होती थी।
पुराने घरों में अलाव जलाने की व्यवस्था होती थी।
आधुनिक कमरों में, सर्दी में बाहरी ऊष्मा या अलाव नहीं हो पाता तो उसके लिए हीटर आदि द्वारा ऊर्जा का अतिरिक्त व्यय होता है।
गर्मी में सीमेंट की दीवार मिटटी के समान ऊष्मा कुचालक नहीं होने से, ac आदि द्वारा अतिरिक्त उर्जा का अपव्यय किया जाता था।
हमारे पूर्वज मूर्ख नहीं थे, जो ऐसी प्रणाली विकसित कर गए कि ऊर्जा का संरक्षण होता रहे।
यह हर क्षेत्र में, सर्वव्यापक बात थी।
#सत्यमेव_जयते का वाक्य इसका ही सैद्धांतिक स्वरूप था।
सत्य को किसी अतिरिक्त संरक्षण की आवश्यकता नहीं होती।
लीपापोती में और तथ्य घुमाने में कितनी ताकत लगती है, यह सारा प्रपञ्च और तिकड़म उस असत्य के बचाव में ही तो आता है, जिसे आप पहले स्थापित कर चुके होते हैं।
जितना बड़ा संविधान, अर्थात सत्य धकेलने के उतने ही उपाय।
जितनी बड़ी बहस, अर्थात असत्य आरोपण की उतनी ही युक्तियाँ।
जितना अधिक विमर्श, सत्य से दूर भागने के उतने ही बहाने।
और #शक्ति का अपव्यय।
पहले सीमेंटेड मकान बना कर समस्या उत्पाद करना और फिर उसे मिटाने हेतु, आजीवन शक्ति व्यय करना जिससे कभी भी मुक्त चिंतन का समय ही न मिले।
आधुनिक, मजहब, जिनमें मार्क्सवाद भी शामिल है, सभी भारत के लिए अनुकूल नहीं है, उसका कारण यही है।
शक्ति तो नियत प्रमाण में ही है, और मानव आयु बहुत अल्प, अतः ये प्रयोग और प्रगति की नौटँकीयां सुख की बजाय दुःख जनती है।
यहाँ, गाय को जबरदस्ती माँसाहार खिलाने के और शेरों को धनिया-पुदीना की चटनी चटाने के खेल चालू हो चुके हैं।
इससे बीमारी फैलेगी, तब औषधि बिकेगी, और मेडिकल कारोबार मजबूत होगा, पर अंततः ऊर्जा की बर्बादी हुई और हाथ कुछ न आया।

सैक्स और भोजन की जो परिभाषा वामपंथ ने दी है, वह बहुत संकीर्ण और अप्राकृतिक है, इसलिये कि मानव एक समाजिक प्राणी मात्र नहीं है।वह animal से बहुत आगे की चीज है।
नर और मादा विभाजन से आगे भी बढ़ो।
अगली सीढ़ी के बारे में सोचो।

कन्हैया जैसे लड़कों को फंसाकर, उस प्रकरण को तूल देकर, काँग्रेस भिंडरावाला की पुनरावृत्ति कर रही है।
यह लघुपथ बाद में बहुत सी एनर्जी की मांग करेगा। आपके किसी #बड़े की आहूति भी मांग सकता है।
#kss

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