यह भाषण उन्होंने राज्यसभा में दो दिनों की सम्विधान बहस 125 वींजयंती बाबा साहब अम्बेडकर, के उपलक्ष में दिया।
दिनांक 1दिसम्बर 2015
सम्विधान पर पहली सार्वजनिक चर्चा का श्रेय 2008 की महाराष्ट्र कांग्रेस सरकार को है।
इस देश में हर किसी के सकारात्मक योगदान रहे है, तभी तो देश और व्यवस्था चल रही है।
इस मामले में पक्ष-विपक्ष से हटकर #निष्पक्ष भी होना चाहिए।
हमने अम्बेडकर जी के उपहास और निंदा को बहुत देखा है, पर हमें उनके कृतित्व के प्रति नतमस्तक होना चाहिए।
अच्छी बातों का बार बार स्मरण हमारी परम्परा रही है। निरन्तर अभ्यास से पत्थर पर भी रस्सी पर भी निशान पड़ते है।
हमें सम्विधान पर उसकी मूल भावना के अनुरूप पुनः 2 चर्चा करनी चाहिए।
"क्या ये देश चल पाएगा?" यह प्रश्न 1947 में भी आया था।और हमने चलाकर दिखाया।
हम यहाँकानून बनाने आए है, तू तू मै मै करने नहीँ।
हम लगातार सम्विधान के प्रकाश में अपडेट होते रहते है। बहस तो 1947 में भी हुई होगी पर सहमति से यह तय हुआ है।
राज्यसभा आवश्यक है - "न सा सभा यत्र न सन्ति वृद्धा:"
गोपालस्वामी अयंगर के शब्द याद रखें और भावावेश में कोई निर्णय न करें। वित्त सम्बन्धी मामलों में लोकसभा ही कुछ अधिकार सम्पन्न है।
राज्यसभा कोई केवल अड़ंगा लगाने के लिए नहीँ है। दोनों सदनों के बीच आपसी सहयोग जरूरी है।
वह सभा नहीँ जिसमें वृद्ध न हों।
वह वृद्ध नहीँ जिसमें तप नहीँ हो।
वह तप नहीँ जिसमें धर्म नहीँ हो।
वह धर्म नहीँ जिसमें सत्य नहीँ हो।
यद्यदाचरति श्रेष्ठ: तत्तदेवेतरोजन:!
स यत् प्रमाणं कुरुते लोकस्तदनुवर्तते!!
हमारे सभी सदस्य खुलकर बहस करें। मर्यादित रहें। जिम्मेदारी से करें।
ऊँचे पदों पर मौजूदा भरष्टाचार समाप्त करना होगा। भाई भतीजावाद नहीँ चलने देना होगा। यह बात एस राधाकृष्ण जी ने 1947 में कही थी।
हमारा सम्विधान सामाजिक मार्गदर्शक भी है।
जब तक समाज सङ्कल्प नहीँ लेता कि हमें बुराइयों से मुक्त नहीँ होना है, समता के सपने में देरी होगी।
न हिन्दू पतितो भवेत्....यह ध्वनि इस सदन में भी गूंजनी चाहिए। पाप प्रक्षालन होना चाहिए।
बिखरने के बहाने तो बहुत हो सकते है, जुड़ने केअवसर ढूंढने चाहिए।
एक भारत-श्रेष्ठ भारत का सपना साकार करना चाहिए। सभी राज्य परस्पर एक दूसरे राज्य की कुछ बातों को साझा करे।
कुछ पर्यटन,उत्सव, भाषा, गीत, भजन आदि का आदान प्रदान करें।
पू डॉ बाबा साहब अम्बेडकर, औद्योगीकरण के पक्षधर थे।
"उच्च उत्पादकता और उद्यम उपलब्ध कराना, राज्य की जिम्मेदारी है। अतिरिक्त श्रमिकों को गैर कृषि कार्यों में नियोजित करना चाहिए।"
"भारत की भूमि सीमित है।हर दशक के बाद जनसंख्या से सन्तुलन बिगड़ जाता है।"
उक्त दो बातें बाबा साहब अम्बेडकर ने कही।
मैक्समूलर कहते है "पृथ्वी का स्वर्ग भारत है।"
हम उस महान् विरासत के धनी है।
भारत नित्य नूतन चिर पुरातन बना रहे।
(जैसा #kss को समझ आया।)
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