परिवार और जगत से परेशान एक लड़का दर दर की ठोकरें खा रहा था।
वह गायक था पर उसका कोई लोहा नहीँ मान रहा था।
रँगमञ्च की राजनीति और अंदरुनी गुटबाजी की दुरभि सन्धि टूट नहीँ पा रही थी।
भटकाव, फाके, उत्पीड़न और अकेलेपन ने उसके भीतर के संगीत को और सम्वेदनशील और सूक्ष्म बना दिया।
उन्हीं दिनों सादड़ी के पास, #परशुराम_महादेव मन्दिर में हर वर्ष होने वाली भजन-प्रतियोगिता के बारे में सुना, जिसमें विशाल जन समूह के सामने अपनी कला प्रदर्शन के साथ साथ एक बड़ी पुरस्कार-राशि भी दी जाती थी।
अत्यंत दैन्यवस्था में , ढलती रात की नीरवता और अपने जीवन के अंधकार से एकाकार हो उसने एक भजन लिखा, जो भावी कार्यक्रम में गाया जाना था।
#जोगीड़ा_जोगीड़ा_रमता_जोगी____नगर_में_जोगी_आया।
और उसे राग #शिवरंजनी में कम्पोज भी कर लिया।
नियत दिन जैसे तैसे एंट्री करवा वह भजन गाने बैठा।
प्रथम आलाप में ही जन समूह ने उसका भव्य उत्साह वर्धन किया!!
और जब गायन शुरू हुआ तो जैसे समां बन्ध गया!!
क्या आयोजक.....क्या भक्त??
क्या निर्णायक.....और क्या तो अन्य कलाकार......जैसे सभी शिव नाद से सम्मोहित हो गए हों।
ठण्डी होती ढलती रात के साथ, दीपक राग के कारुणिक आलाप....अरावली के पर्वतों को बींधते हुए फिजां में गूंजने लगे।
कृष्ण के शिशु रूप दर्शन हेतु आए भोलेनाथ के योगी रूप के इस कथानक के गायन में उसने अपनी पूरी प्रतिभा झोंक दी!!
और .............वातावरण तथा प्रतिक्रिया देखकर वह समझ तो गया कि मै ही जीत रहा हूँ। एक लाख के नगद पुरस्कार से साजो सामान और अपनी मण्डली तो खड़ी कर ही सकता हूँ।
सफलता केइन चरम क्षणों में उसे अचानक स्वयं का घर से निकाला जाना, मित्रों का तिरस्कार, वरिष्ठ कलाकारों द्वारा किया गया अपमान....गत दिनों की भीषण यंत्रणाएं, #आत्महत्या का विचार, और गत तीन वर्षों के भटकाव के एक पीड़ादायी गोले ने आकर कण्ठ को रुद्ध कर दिया!!
वाद्य बज रहे थे!!
रिदम और तेज हो गई थी!!
भीड़ की सांसें जैसे अटक गई थी।
सबके नैत्र चौड़े हो गए।
तबले की थाप से कुम्भलगढ़ हिलने सा लगा!!
पर राग......वह निकल नहीँ रही थी।
कालिमा भरे आकाश में शिव की कल्पना कर उसने ऊपर देखा।
उसकी आँखों से अश्रुधारा बह चली।
कण्ठ का दुखद गोला पिघल कर आँखों के रास्ते बह निकला!!!
अत्यंत भव्य और दिव्य स्वर में, #तार_सप्तक से उसने अंतिम अंतरा पूरा किया!!
अंतिम आलाप शुरू !
महादे ssss .,......!!
भीड़ रो रही थी।
कलाकार भी रो रहे थे।
निर्णायक रो रहे थे।
वह खुद रो रहा था।
#शिवरंजनी रो रही थी।
ढोलक पेटी तबला और वीणा रो रही थी!!
शिव हंस रहे थे।
क्या आपने अनुमान लगाया......#वह...कौन था?
#kss
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