गुरुवार, 22 अक्टूबर 2015

सोम

कहा तो था....
गांव में
#सोम बोलने पर सुख मिलेगा।
और
#स्वान बोलने पर दुःख।

कई दिन
रटते रहे सभी
सोम सोम सोम।
हाँ
सोम सोम सोम।

और सुख ही सुख था।
चारों ओर।
ननकू सुखी।
हीरा माँ भी सुखी।
अमरा सूरा निर्जरा भी सुखी।
गोकुल के ग्वालन के गोप भी सुखी।

एक दिन #जीके वाले सर आए।
कहा याद करो #सबकुछ।
रोज पांच सवाल याद किया करो।
और ननकू तू पूछेगा भी।

"क्या बोलने से सुख और क्या बोलने से दुःख?"
यह पांचवा प्रश्न था।

उत्तर
सोम बोलने से सुख और स्वान बोलने से दुःख।

क्या....?
स्वान बोलने से दुःख?
नहीँ बोलेंगे स्वान।
ननकू! अब स्वान मत बोलना।
हीरा माँ!! स्वान कभी मत बोलना।
अरे बेटा... ऊँचा सुनती हूँ....क्या कह रहा है?
बुढ़िया!! स्वान मत बोलना।
गत बिगड़ेगी।
ओह! नहीँ बोलूंगी स्वान।

सुनो सुनो सुनो!!  स्वान मत बोलना।
अरे ये कौन चिल्ला रहा है...?  "स्वान स्वान"
अजरा बोला -"सूरा कह रहा है, स्वान!"
सूरा- मैने कब कहा स्वान?
तो निर्जरा ने कहा होगा स्वान!!

स्वान मत बोलो....
ऐसा कानून बनाओ।
स्वान बोलना निषिद्ध है।
दुकानों पर पट्ट लगा है "हमारे यहाँ स्वान नहीँ बोला जाता।"

बैंक की दीवार पर लिखा है "हमें ख़ुशी होगी, यदि आप स्वान नहीँ बोलेंगे तो।"
मेले में भोंपू पर बीच बीच में उद्घोषणा होने लगी
"कृपया स्वान नहीँ बोलें।"

स्टेशन पर "यात्री गण कृपया ध्यान दें---कोई भी स्वान नहीँ बोलेगा।"
एक बच्चा चिल्लाया "मम्मी!  क्या नहीँ बोलना!"
आंटी ने समझाया "बेटे स्वान"

प्रेमी बोला "मेरी जिंदगी का वो आखिरी दिन होगा जब मै स्वान बोलूंगा।"

स्वान नहीँ बोलने पर परिचर्चाएं हो रही है।
टीवी में स्वान।
मस्जिद के तब्सरे में स्वान।
अख़बार में स्वान।
चाट खाते हुए कागज के टुकड़े पर स्वान।

मन्दिर में स्वान बोलने से होने वाली हानि पर प्रवचन चल रहे है।
स्कूल की प्रार्थना सभा में भी स्वान पर निर्देश दिए जाते।

विपक्ष के नेता मिले,
सरकार स्वान विषयक मामले गम्भीरता से नहीँ ले रही।
यू एन ओ ने स्वान निषेध दिवस घोषित किया।

छिपे केमरों से स्वान बोलने वालोँ के स्टिंग होने लगे।
trp में स्वान नम्बर एक हो गया है।

बस में एक ताऊ कह रहे थे "ये जो सभी लोग दुःखी है न, इसका कारण यही है कि स्वान बोला जा रहा है।"
अचानक बस ने हिचकोला खाया...!

और सभी यात्री फुसफुसाए "सोम!....सोम!!"
#kss

गुरुवार, 1 अक्टूबर 2015

महादेव

परिवार और जगत से परेशान एक लड़का दर दर की ठोकरें खा रहा था।
वह गायक था पर उसका कोई लोहा नहीँ मान रहा था।
रँगमञ्च की राजनीति और अंदरुनी गुटबाजी की दुरभि सन्धि टूट नहीँ पा रही थी।
भटकाव, फाके, उत्पीड़न और अकेलेपन ने उसके भीतर के संगीत को और सम्वेदनशील और सूक्ष्म बना दिया।

उन्हीं दिनों सादड़ी के पास, #परशुराम_महादेव मन्दिर में हर वर्ष होने वाली भजन-प्रतियोगिता के बारे में सुना, जिसमें विशाल जन समूह के सामने अपनी कला प्रदर्शन के साथ साथ एक बड़ी पुरस्कार-राशि भी दी जाती थी।

अत्यंत दैन्यवस्था में , ढलती रात की नीरवता और अपने जीवन के अंधकार से एकाकार हो उसने एक भजन लिखा, जो भावी कार्यक्रम में गाया जाना था।
#जोगीड़ा_जोगीड़ा_रमता_जोगी____नगर_में_जोगी_आया।
और उसे राग #शिवरंजनी में कम्पोज भी कर लिया।

नियत दिन जैसे तैसे एंट्री करवा वह भजन गाने बैठा।
प्रथम आलाप में ही जन समूह ने उसका भव्य उत्साह वर्धन किया!!
और जब गायन शुरू हुआ तो जैसे समां बन्ध गया!!
क्या आयोजक.....क्या भक्त??
क्या निर्णायक.....और क्या तो अन्य कलाकार......जैसे सभी शिव नाद से सम्मोहित हो गए हों।

ठण्डी होती ढलती रात के साथ, दीपक राग के कारुणिक आलाप....अरावली के पर्वतों को बींधते हुए फिजां में गूंजने लगे।
कृष्ण के शिशु रूप दर्शन हेतु आए भोलेनाथ के योगी रूप के इस कथानक के गायन में उसने अपनी पूरी प्रतिभा झोंक दी!!

और .............वातावरण तथा प्रतिक्रिया देखकर वह समझ तो गया कि मै ही जीत रहा हूँ। एक लाख के नगद पुरस्कार से साजो सामान और अपनी मण्डली तो खड़ी कर ही सकता हूँ।

सफलता केइन चरम क्षणों में उसे अचानक स्वयं का घर से निकाला जाना, मित्रों का तिरस्कार, वरिष्ठ कलाकारों द्वारा किया गया अपमान....गत दिनों की भीषण यंत्रणाएं, #आत्महत्या का विचार, और गत तीन वर्षों के भटकाव के एक पीड़ादायी गोले ने आकर कण्ठ को रुद्ध कर दिया!!
वाद्य बज रहे थे!!
रिदम और तेज हो गई थी!!
भीड़ की सांसें जैसे अटक गई थी।
सबके नैत्र चौड़े हो गए।
तबले की थाप से कुम्भलगढ़ हिलने सा लगा!!
पर राग......वह निकल नहीँ रही थी।

कालिमा भरे आकाश में शिव की कल्पना कर उसने ऊपर देखा।

उसकी आँखों से अश्रुधारा बह चली।
कण्ठ का दुखद गोला पिघल कर आँखों के रास्ते बह निकला!!!
अत्यंत भव्य और दिव्य स्वर में,  #तार_सप्तक से उसने अंतिम अंतरा पूरा किया!!

अंतिम आलाप शुरू !
महादे ssss .,......!!
भीड़ रो रही थी।
कलाकार भी रो रहे थे।
निर्णायक रो रहे थे।
वह खुद रो रहा था।
#शिवरंजनी रो रही थी।
ढोलक पेटी तबला और वीणा रो रही थी!!
शिव हंस रहे थे।
क्या आपने अनुमान लगाया......#वह...कौन था?
#kss