व्याख्याता हिन्दी की तैयारी निम्न प्रकार से करें।
कुल छह माह की योजना
प्रति दिन 6घण्टे अध्ययन करने से आप निश्चित व्याख्याता बन सकते है।
प्रथम पेपर सामान्य अध्ययन का है। यह सबके लिए समान होगा। इस पेपर का मॉडल पेपर से स्वयम् का एक टेस्ट लें।
यदि आपको उसमे 50% अंक आते है तो आप इस पोस्ट को पढ़ने के अधिकारी है।इससे कम अंक वालों के लिए राह जरा कठिन है।
यदि आपके आधे प्रश्न सही हो रहे है तो आप प्रतिदिन एक घण्टा इस पेपर की तैयारी करें।
इससे अधिक समय इसमें नहीँ देना है। यद्यपि सभी लोग इसी पेपर का भय दोहन कर विद्यार्थियों को कोचिंग आदि के लिए प्रेरणा देते है किन्तु अनुभव यह है कि घनघोर तैयारी के बावजूद इस पेपर में मुश्किल से 5% ही अंक वृद्धि हो पाती है। जब कि यही परिश्रम द्वितीय पेपर में किया जाय तो आपके प्रतिशत वृद्धि 20% तक पहुंच सकती है जो कि आपको सफलता की ओर ले जाएगी।
अब द्वितीय पेपर की बात करते है।
इसका भी स्वयम् परीक्षण करें। गाइड में उपलब्ध मॉडल पेपर की सहायता से अपने टेस्ट लें।
कम से कम 5टेस्ट लें और उनका प्राप्तांक औसत ज्ञात करें।
यदि आपके
90%=निश्चित चयन
70%-90=अल्प तैयारी से ही चयन।
50%-70=पर्याप्त तैयारी से चयन।
50से कम=घनघोर परिश्रम की आवश्यक्ता है।
यह तो हुई तैयारी पूर्व की बात।
आगे तैयारी की बात की जा रही है। आप चाहे जिस श्रेणी के भी हों, आपको यह पोस्ट पढ़नी ही चाहिए।
सबसे पहले निम्न पुस्तकों का संकलन करें जिनमें से अधिकांश आपको आसानी से मिल जाएँगी या आपके आस पास ही होंगी।
पुस्तक सूची-केसरी सिंह सूर्यवँशी
1 हिंदी साहित्य का इतिहास-आचार्य रामचन्द्र शुक्ल(नगेन्द्र को हरगिज नहीँ पढ़ें।)
2 हिन्दी net/set गाइड -उपकार प्रकाशन(यहाँ भी लक्ष्य या रॉय अथवा राघव प्रकाशन की गलती नहीँ करें।)
3हिंदी प्रथम श्रेणी गाइड-उपकार या मेरठ प्रकाशन
4हिंदी पाठ्य पुस्तक, कक्षा 6से 12
5हिन्दी साहित्य पाठ्य पुस्तक कक्षा 11व12 अंतरा और अंतराल।
6उक्त क्रम संख्या 4और5 की सन्जीव पास बुक्स
7सन्जीव पास बुक बी ए अनिवार्य हिंदी(जो केवल प्रथम वर्ष में ही चलती है।ये म द स वि वि की होनी चाहिए।)
8बी ए पार्ट 1,2,3की हिंदी सन्जीव पास बुक्स, एमडीएस अजमेर कुल 6 पुस्तकें।
9 ma हिन्दी की सभी 9पास बुक्स, एमडीएस और सन्जीव(पुरानी हो तो ज्यादा अच्छा है।)
10साहित्य दर्पण, संस्कृत से हिंदी अनुवाद सहित।
11rpsc द्वारा रिलीज पुराने हिंदी पेपर्स, चाहे किसी भी परीक्षा के हों।
इस साहित्य को यथा शीघ्र ही स्थापित कर लें।
परीक्षा का अंक विभाजन निम्न प्रकार से रहेगा।
12वीं लेवल=55प्रश्न
बी ए लेवल=55प्रश्न
MA लेवल=10प्रश्न
मनोविज्ञान=30प्रश्न
तैयारी निम्न प्रकार से करें।
आपको कुल 4 notbook बनानी है।
12वीं लेवल के लिए=120पृष्ठ
BA/MAलेवल के लिए=120पृष्ठ
मनोविज्ञान के लिए=120पृष्ठ
स्मरणावली=96पृष्ठ।
प्रथम चरण
अपना पाठ्यक्रम जो कि 4 प्रकार से विभाजित है,उसका पुनः विभाजन करें।
विभाजन जितना ज्यादा कर सकते है उतना ही ठीक रहेगा।
मैने केवल 12वीं लेवल के ही 60 खण्ड कर रखे है।
उदाहरण के लिए 12वीं की अंतरा और अंतराल को देखते हुए पाठों की संख्या, उनकी विधा,उन लेखकों का परिचय इस प्रकार प्रत्येक पाठ के तीन खण्ड होते है।
गद्य के 10 पाठ और पद्य के10 पाठ।
इनके साथ अंतराल के4पाठ।
इन 24 पाठोंमें से कुछ पाठ ऐसे है जिनका साहित्य से कोई लेना देना नहीँ।उनका साहित्यिक पक्ष यदि कोई ध्यान आता है तो स्वीकार करें अन्यथा त्याग दें।
यही प्रक्रिया आरोह और वितान के सम्बन्ध में अपनाएं।
इस प्रकार आपको कुल लगभग 60 उपभाग मिलेंगे। जिन्हें आप प्रथम notebook के 120 पृष्ठों में पहले से ही शीर्षक के स्थान पर लिख दे।
प्रत्येक के लिए 2पृष्ठ मिलेंगे।
उदाहरण के लिए इस रजिस्टर के पृष्ठ 1पर प्रेमचन्द और 3पर अमरकांत इसी प्रकार
5हरिशंकर परसाई
7रांगेय राघव
9सुधा अरोड़ा(यह पाठ साहित्य का अंग नहीँ है)
....
....
गद्य भाग पूरा होने पर पद्य भाग
फिर अंतराल और उसके पश्चात 12वीं की अंतरा आदि और आगे पुनः 11वीं12वीं की आरोह वितान के शीर्षक अंकित कर दें।
ऐसा ही बी ए एम् ए की नोटबुक में भी पाठ्यक्रम को 60 भागों में बाँटकर अंकित कर दें।
यही विभाजन मनोविज्ञान का भी करके नोटबुक में अंकित कर दें।
इस प्रकार तैयारी का यह प्रथम चरण सम्पन्न होता है।
द्वितीय और महत्त्वपूर्ण चरण
अब आपको अपनी पढ़ाई आरम्भ कर देनी है।
प्रत्येक पुस्तक को नहीँ पढ़ना है।
आपको अपनी पसन्द के टॉपिक पढ़ते जाना है और सम्बंधित नोटबुक के पृष्ठ पर व्यवस्थित रूप से नोट्स रूप में लिखते जाना है।
उदाहरण के लिए
यदि आप अंतरा भाग 1 के पद्य का पाठ..."महादेवी वर्मा" पढ़ रहे है तो प्रथम नोट बुक के पृष्ठ 27 पर उनके बारे में जो जाना है उसे अंकित कर दें।
यहाँ कवयित्री का जीवन परिचय, उनकी कृतियां,पुरस्कार आदि लिखने के बाद उनकी दोनों कविताओं 1जाग तुझको दूर जाना और 2 सब आँखों के..... में व्यक्त छन्द, अलंकार बिम्ब, भाषा शैली, सम्बंधित काव्य विधा, तत्कालीन वाद, समकालीन कवियों से तुलना आदि सभी बातें संक्षिप्त लिख दें।
उसके बाद कक्षा 6से 10 तक की पुस्तकों में यदि उक्त साहित्यकार का अन्य कोई पाठ आया है तो उसको ढूंढ कर पढ़ें।
वहाँ भी यदि कोई विशेष बात लगती है तो उसे भी लिख दें।
यदि कोई ऐसी सामग्री है जिसे कण्ठस्थ करना जरूरी है तो उसे चौथी nootbook में अंकित कर दे।।
इस प्रकार यदि विषय कठिन लग रहा है और स्पष्ट नहीँ हो रहा है तो अन्य पुस्तकों और पास बुक्स का सहारा लें।
इस प्रकार प्रतिदिन अध्ययन करने से आप बोर भी नहीँ होंगे और तैयारी भी होती रहेगी।
जिन पाठ्यांशों को रटना जरूरी है उन्हें चौथी नोटबुक में लिखते जाएं। जहाँ लिख रखा है वहाँ संक्षिप्त में प्रकरण और किस ग्रन्थ लेखक की रचना है वह भी लिखते जाएं।
मात्र तीन ही माह में 80%पाठ्यक्रम पूरा हो जाएगा और तब आपको केवल कठिन अंशों को ही पढ़ना होगा।
काव्यशास्त्र पर ध्यान देना शुरू करें और स्मरणावली नामक चतुर्थ नोटबुक का नित्य परायण करते रहें।
रोज पारायण करने से सहजता से बहुत सी काव्यात्मक बातें कण्ठस्थ हो जाएँगी और अतिरिक्त दबाव भी नहीँ पड़ेगा।
इस सारे अध्ययन के केंद्र में शुक्ल की पुस्तक को ही रखें।उसी क्रम का अनुसरण करें।
गाइडों का उपयोग केवल पैटर्न देखने अथवा स्वयं का परीक्षण करने के लिए करें।
गाइड और पास बुक्स को कभी भी अंतिम सत्य नहीँ मानें।
न ही किसी से प्रभावित हों। नकारात्मक वातावरण से दूर रहें।
पर्याप्त नींद लें।
टीवी कम से कम देखें और कभी भी अध्ययन के समय अपने पास फोन नहीँ रखेँ।
काव्यमय जीवन बनाएं।
सभी कार्यों की एक नियमित दिनचर्या बना दें।
दूषित विचार और दूषित लोगों की संगति से सर्वथा दूर रहें।
पतंजलि की मेधावटी,ब्राह्मी और बादाम का प्रयोग करें।
गो दुग्ध का उपयोग करें।
जब कार्य शुरू हो जाए और कोई कठिनाई हो तो यहाँ ब्लॉग में कमेंट में लिख कर पूछ सकते है।
जब पाठ्यक्रम के सभी भाग पूरे हो जाएं तो अंतिम छठे माह में प्रतिदिन स्वमूल्यांकन करें।
पता करें कि कहाँ कमी रह रही है?
उसे ठीक करें।
अंतिम दिनों में इत्मीनान से कठिन अंशों का पुनः परिशीलन करें।
हाँ स्मरणावली का नित्य पाठ करते रहें।
उसे बढ़ाते जाएं।
प्रतिनिधि लेखकों और उनकी रचनाओं को पढ़ने का भी आनन्द लें।
और
अंततः आप नियत दिन परीक्षा देने जाएं।
आप पाएंगे कि आप 90% पार कर गए हो और यहाँ आपको हिंदी व्याख्याता बनने से कोई रोकने वाला नहीँ।
नौकरी का आनन्द लीजिये और परोपकार भाव से दूसरों की भी सेवा कीजिए।
केसरी सिंह सूर्यवँशी।
(टिप्पणी जरूर दें कोई जिज्ञासा हो तो भी पूछ सकते है।)